Saturday, May 31, 2014

मन तुम क्यों झाड़ो अंगरेजी - कृष्ण मुरारी पहारिया

मन तुम क्यों झाड़ो अंगरेजी
अपनी हिंदी दुग्ध-धवल है
अंगरेजी रंगरेजी

दुग्ध-धवल किरणें सतरंगी
जाननहारा जाने
जिसको नहीं ज्ञान रंगों का
वह कैसे अनुमाने
जिस में वाणी सभी रंग हैं
सोई अपनी भाषा
ओंठ रंगाये बैठी है जो , वह
कोठे की परिभाषा

धीरज धरो रहो देसी ढंग
गहो न ऐसी तेजी

नेताओं की ओर न देखो
उनका ह्रदय विदेशी
जब देखो तब खोज रहे हैं
आब-हवा परदेशी
उनको तो सरकारी सुविधा
वहीँ खुले हैं खाते
हम जनता अपनी जमीन से
जीवन अपना पाते

प्राइमरी के पढ़े हुए हैं
हमें न भावे के.जी.

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