Friday, May 9, 2014

सब प्रश्नों के उत्तर दूंगा , लेकिन आज नहीं ! - मुकुट बिहारी 'सरोज'

सब प्रश्नों के उत्तर दूंगा , लेकिन आज नहीं !

आज इसलिये नहीं कि तुम मन की कर लो ,
बाकी बचे न एक ख़ूब तबियत भर लो ,
आज बहुत अनुकूल ग्रहों की बेला है
चूको मत अपने अरमानों को वर लो ,
कल की सायत जो आएगी
सारी कालिख धो जायेगी
इसलिए कि अंधियारे की होती उम्रदराज़ नहीं ,

आज सत्य की गतिविधियों पर पहरे हैं ,
क्यों कि स्वार्थ के कान जन्म से बहरे हैं ,
ले-देकर अपनी बिगड़ी बनवा लो तुम
निर्णायक इन दिनों बाग़ में ठहरे हैं ,
कल ऐसी बात नहीं होगी
ऐसी बरसात नहीं होगी
इसलिए कि दुनिया में रोने का आम रिवाज़ नहीं !

प्रश्न बहुत लगते हैं लेकिन थोड़े हैं
मैंने ख़ूब हिसाब लगा कर जोड़े हैं ,
उत्तर तो कब का दे-देता शब्द मगर
अधरों के घर आना-जाना छोड़े हैं ,
कल जब ये मौन भंग होगा
तब कोई दुःख न तंग होगा
इसलिए कि तन मरता है , मरती आवाज़ नहीं !


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