Thursday, May 22, 2014

मुझको तेरी तलाश है , आवाज़ दे मुझे ! तू मेरे बहुत पास है , आवाज़ दे मुझे !! - प्रोफे. राम स्वरुप सिन्दूर

मुझको तेरी तलाश है , आवाज़ दे मुझे !
तू मेरे बहुत पास है , आवाज़ दे मुझे !!

मैं आइने में ख़ुद को जो देखूँ तो तू दिखे ,
क्या ख़ूब इल्तिबास है , आवाज़ दे मुझे !

ऐसा लगे कि तू भी है मेरी तलाश में ,
एहसास तो एहसास है , आवाज़ दे मुझे !

हर सम्त बेपनाह शोरोशर है क्या हुआ ,
आवाज़ मेरी खाश है , आवाज़ दे मुझे !

कहते हैं लोग है ही नहीं तू वजूद में ,
तू है तो नाशनास है , आवाज़ दे मुझे !

मैं गुम हुआ हूँ संगतराशों की भीड़ में ,
कोई जो बुततराश है , आवाज़ दे मुझे !

मुझको तो रास आ गई मेरी उदासियाँ ,
गर तू बहुत उदास है , आवाज़ दे मुझे !

उस वक़्त अंधेरों में खो गई थी हर सदा ,
ये लम्हा ज़ियापाश है , आवाज़ दे मुझे !

हर हाल में 'सिन्दूर' को इंसाफ दे सके ,
वो कौन-सा इज्लास है , आवाज़ दे मुझे !

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