Monday, April 7, 2014

अवज्ञा अमरजीत गुप्ता की एक रचना व्यवस्था पर


किराड़ी विधान सभा क्षेत्र के नाम--

एक नेता जिसने की गुंदागर्दी खुलेआम/
पीटा जन को सरेआम/
चटाया थूक.. पिलाया मूत भी./
और दे दिया सड़कोँ को अपने बाप का नाम../

और उसके बाद भी बना रहा.. वो आपका अपना नेता/
देकर अपनी मूँछ पर ताव/
किया खारिज़ तुमने हर बदलाव/

सुनो

नजदीक के सरकारी स्कूल मेँ पहुँचो../
जहाँ एक कमरे मेँ ठूँस दिये जाते है 150 बच्चे/
और नहीँ है पिछले पाँच सालोँ से पीने का पानी /
जबकि मुख्य अतिथि होता है तुम्हारा यही नेता/हर साल..हर बार/
वहीँ.. हाँ वहीँ
खुले मेँ शौच को मजबूर है तुम्हारी अपनी ही बेटियाँ/



अब.. जब कोई छोटा बच्चा..
थामे तुम्हारी ऊंगली/
इसी सहजता से.. झांकना उसकी आँखोँ मेँ/
और कह देना
नेता तुम्हारी जाति का है.
इसलिये तुमने/
उनका भविष्य बेच डाला!

तुम्हारी इस बाभनवादी मानसिकता पर थू..
तुम्हारे इस जातीय अहंकार पर थू
तुम्हारी रूढिवादी जड़ता
तुम्हारी सोच तुम्हारे संकीर्ण विचार पर थू..

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