चलो
अच्छा बताओ
क्या करें
तुम्हारी इतनी नफरतों का क्या हल करें ?
क्या
सभी मुसलमानों को
एक साथ
मार दे ?
उनके गॉव लूट लें
उनके मकान
जमीन सब अपना कर लें ?
इस मुल्क से
उनका इतिहास मिटा दें
और
उस इतिहास में
पूरी ठिठाई के साथ
बेशर्मी से
अपना नाम चढ़ा लें ,
और फिर
कुछ देर सुस्ता लें
क्यों कि
मुसलमानों को मारने के बाद
हम फिर
दलितों को मारेंगे ?
ये कमीने
नयी हवा में कुछ ज्यादा ही बौराये हैं
जबकि
उनका जन्म
हमारी सेवा को ही हुआ है
उसके बाद
हम बगल के गॉव पर हमला करेंगे
सजातिये हुए तो क्या
हमारे बराबर के कैसे बन गए ?
इनको भी मार कर
फिर हम
अपना घर सुधारेंगे......./
अपनी औरतों को
चारदीवारी की हद बताएँगे
चार किताबे पढ़ के
ये भी
बड़ा हक़ हक़ चिल्ला रही हैं
इनको भी
इनकी औकात बताएँगे,
तब ही हम
चैन की सांस पाएंगे
क्यों कि
हमको हमारे ईश्वर ने
सर्वश्रेठ बनाया हैं
हम इन सबको
मार कर
इसका अहसास कराएँगें
और
अंत में
हम अकेले रह जायेंगे.....
तो क्या हुआ
जब मेरे घर के बगल की मस्जिद
बिना अजान रह जाएगी
जिस अजान से
मैं रोज सुबह उठता था
काम पर जाने को तैयार होता था,
तो क्या हुआ
जो अब रोज़
अब्दुल भाई से खेतो पर
दुआ सलाम न होगी,
तो क्या हुआ
मेरा बच्चा
अपने मुस्लिम दोस्तों के बिना
अकेला खेलेगा,
वो स्कूल भी नहीं जायेगा
क्यों कि
उसके स्कूल टीचर नीच जात के थे
मार दिए गए,
तो क्या हुआ
सब ठीक तो हैं...
क्यों कि हम तो जिन्दा हैं
अपना सर
गर्व से उठाये
सीना ताने
अपने जातीय और धार्मिक दंभ
को संभाले हुए....
मुसलमान रहे न रहे
दलित रहे न रहे
हम तो हैं
क्यों कि हमारे ईश्वर ने
सिर्फ हमको ही
ये अधिकार दिया हैं
और
ये अधिकार रहना चाहिए
फिर चाहे हम
इंसान रहे या न रहे
कोई बात नहीं
क्यों कि मूलतः
पहले
हम जानवर ही तो थे
तो बताओ फिर
क्या बना जाये
जानवर ही रहा जाये
या इन्सान बना जाये ?..
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