Monday, April 14, 2014

जो कुछ होता है, होने दो - प्रोफे. राम स्वरुप 'सिन्दूर'

जन्म-दिवस पर घर के बच्चे
एस. एम. एस. कर देते हैं
ये पल भरी-भरी आँखों को
और अधिक भर देते हैं !


मित्रों की बधाइयाँ मन को
क्या से क्या कर जाती हैं,
कैसी-कैसी विडम्बनाएँ
इस जीवन में आती हैं,
'फोनकाल' पर हम सतर्क हो
संयम उत्तर देते हैं !

'बुके' साथ लाने-वालों से
हँस-हँस बातें होती हैं,
नयी सुबह की रात बड़ी है
मारक बरसातें होती हैं,
हम देते मधुमास जिन्हें
वे हमको पतझर देते हैं !

पत्नी कहती, 'मेरे रहने तक
तुमको भी रहना है,
जो कुछ होता है, होने दो
साँस चले तक बहना है,
हम उस के निर्बल काँधे पर
बोझिल सर रख देते हैं




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