Sunday, April 27, 2014

हां, मैं दुस्साहसी हूँ - लोक मित्र गौतम

अगर सपने देखना दुस्साहस है
अगर जुल्मी और जुल्म की नाफरमानी दुस्साहस  है
अगर सर्वोच्च अदालत के फैसले पर अपनी राय रखना दुस्साहस है
आइंसटीन की बिगबैंग थ्यौरी पर नये सिरे से सोचना दुस्साहस है
और वक्त के सरमाये से हक मांगना नक्सलवादी दुस्साहस है
तो मी लार्ड मैं दुस्साहसी हूं
आप भी मुझे इस मुगालते में
सख्त से सख्त सजा दीजिए
कि मेरे बाद कोई दूसरा दुस्साहसी पैदा नहीं होगा
पर आपकी नासमझी पर
तरस खाने का दुस्साहस
तो मैं फिर  भी करूंगा
माना की हर कहानी की शुरूआत
एक था राजा एक थी रानी जैसी सपाट नहीं होती
लेकिन यकीन मानिए हर कहानी का अंत
उसकी शुरूआत का नतीजा होती है
मुझे मालूम है
मेरे दुस्साहस की कहानी की शुरूआत सुनने की
आपमें जरा भी दिलचस्पी नहीं है
लेकिन आखिरी सजा दोगे
तो आखिरी ख्वाहिश भी तो पूरी ही करनी पड़ेगी
सजायाफ्ता के सुकून के लिए नहीं
कटघरे के बाहर खड़े उन लोगों के लिए
जिन्हें इस मुगालते में रखना है
कि निजाम अपने लिए नहीं
निजाम की भलाई के लिए कड़े फैसले लेता है
खैर!
मुझे यहां निजाम की नहीं अपनी कहानी सुनानी है
मैं जहां पैदा हुआ था
वहां की भाषा में
आजादी की आधी सदी से ज्यादा
गुजर जाने के बाद आज भी
दो ही शब्द हैं
जी और हुजूर
मैंने दुस्साहस यह किया
कि एक तीसरा शब्द सीखा, क्यों
जिससे अपने आपमें
कोई पूरा वाक्य तो नहीं बनता
लेकिन यह नाजुक सा शब्द
बड़े-बड़े ब्रह्मवाक्यों तक की
तलाशी लेने की कूव्वत रखता है
मैं वहां पैदा हुआ था
जहां आज भी
दो ही सपने देखे जाते हैं
एक स्याह
दूसरा सफ़ेद
मेरा दुस्साहस ये रहा कि मैंने इनके साथ
एक सुर्ख रंग के सपने को भी ला खड़ा किया
जिसने स्याह और सफ़ेद में
वो जज्बा भरा
कि तीनों मिलकर
इन्द्रध्नुषी सपनों की बुनियाद रखने लगे
मी लार्ड मैं वहां पैदा हुआ
जहां इच्छाएं जन्मजात नत्थी होती हैं
मेरा दुस्साहस ये रहा कि मैंने
इसमें कुछ जोड़ दिया, कुछ घटा दिया
नतीजतन
सनातनी समीकरण बिगड़ गया
और मुझे खौपफनाक घोषित कर दिया गया
और सुनिए मी लार्ड
मैं वहां पैदा हुआ था
जहां फूलों की खेती करने वालों को
फूलों को सूंघना मना था
मैंने दुस्साहस यह किया कि गुलाब की
नाजुक पंखुड़ी को अपने होठों से लगा लिया
आपने शायद कभी हमारा देश नहीं देखा
जहां से बैठकर आप हमारी किस्मत का
फैसला कर रहे हैं
यहां से वह बहुत दूर है
और बहुत अलग है
जहां आषाढ़ की पहली बारिश में
मोर तो झूमकर नाच सकते हैं
इंसान ऐसा करे तो उसे
मर्यादा भंग करने का दोषी समझा जाता है
मैंने जंगल की ऐसी ही मर्यादा के उल्लंघन का
दुस्साहस किया है
इसलिए मी लार्ड
आप मुझे जो सख्त से सख्त सजा सुना सकते हैं
सुना दीजिए
क्योंकि मैं जिंदा रहा
तो यह गुनाह बार बार करूंगा
दुस्साहस मेरे खून में है
और मैं....
आपकी सजा के डर से
अपना खून पानी नहीं होने दूंगा

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